Biography

दिनेश सोनकर

“कलियुग के देवता” मीमांसा दर्शन के रचयिता श्री दिनेश सोनकर का साहित्य जगत में यह पहला कदम है। इनके दर्शन में व्यक्तिगत स्वतंत्रता अहम रूप से झलकती है। इनका यह कहना है कि “व्यक्ति को न केवल शारीरिक और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना चाहिए बल्कि उसे मानसिक और वैचारिक रूप से भी स्वतंत्र रहना चाहिए।” अपनी इसी स्वतंत्रता की तलाश में आपने नौकरी पेशे से इनकार कर दिया और B.Tech की डिग्री के साथ स्नातक होने के बाद व्यवसाय पेशे से जुड़ गए। ये Sonkar Stores के संस्थापक हैं। इन्हें व्यापारिक जगत की गलाकाट प्रतियोगिता भी न बांध सकी और ये market में व्यापारियों के बीच अपनी विशेष स्वतंत्र और शांत छवि के लिए विख्यात हैं। इन्हें तथ्यों को तलाशने में विशेष रुचि है। बचपन से ये एक वैज्ञानिक बनना चाहते थे, तो यह चाहत इन्हें आध्यात्मिक जगत में खींच लाई और तथ्यों को लताशते हुए इन्होंने देवी-देवताओं, उपनिषदों, पुराणों, रामायण, महाभारत आदि विषयों पर अध्ययन प्रारम्भ किये। यह “कलियुग के देवता” नामक किताब एक तरह से इनका शोध पत्र ही है। लेखक अपनी स्वतंत्र विचारधारा के कारण अंधविश्वास और ब्राह्मणवाद के विरुद्ध सदैव उपस्थित रहते हैं।