नश्तर और नक़ाब

198.00


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यह उपन्यास सिर्फ एक कहानी नहीं है, बल्कि एक सवाल है — उस व्यवस्था पर, उस चुप्पी पर, और उन चेहरों पर जो मासूमियत के पीछे छुपे रहते हैं। “नश्तर और नक़ाब” लिखते समय कई बार मेरी आत्मा काँपी। रामवीर एक काल्पनिक किरदार है, लेकिन उसकी चीख़ें असल दुनिया से उठी हैं। अगर इस कहानी ने आपको विचलित किया, गुस्सा दिलाया, या सोचने पर मजबूर किया — तो यही मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है। अगर आपके आस-पास कोई बच्चा है जो अँधेरे से जूझ रहा है, तो बस इतना जानिए — आप उसकी रौशनी बन सकते हैं।

Description

यह उपन्यास सिर्फ एक कहानी नहीं है, बल्कि एक सवाल है — उस व्यवस्था पर, उस चुप्पी पर, और उन चेहरों पर जो मासूमियत के पीछे छुपे रहते हैं। “नश्तर और नक़ाब” लिखते समय कई बार मेरी आत्मा काँपी। रामवीर एक काल्पनिक किरदार है, लेकिन उसकी चीख़ें असल दुनिया से उठी हैं। अगर इस कहानी ने आपको विचलित किया, गुस्सा दिलाया, या सोचने पर मजबूर किया — तो यही मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है। अगर आपके आस-पास कोई बच्चा है जो अँधेरे से जूझ रहा है, तो बस इतना जानिए — आप उसकी रौशनी बन सकते हैं।

Book Details

Available Format

Paperback Print

ISBN

9789365545081

Language

Hindi

Page Count

110

Published Year

2025

Size

5×8 in

Author

Prakhar Tiwari

Publisher

OrangeBooks Publication

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