Description
यह उपन्यास सिर्फ एक कहानी नहीं है, बल्कि एक सवाल है — उस व्यवस्था पर, उस चुप्पी पर, और उन चेहरों पर जो मासूमियत के पीछे छुपे रहते हैं। “नश्तर और नक़ाब” लिखते समय कई बार मेरी आत्मा काँपी। रामवीर एक काल्पनिक किरदार है, लेकिन उसकी चीख़ें असल दुनिया से उठी हैं। अगर इस कहानी ने आपको विचलित किया, गुस्सा दिलाया, या सोचने पर मजबूर किया — तो यही मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है। अगर आपके आस-पास कोई बच्चा है जो अँधेरे से जूझ रहा है, तो बस इतना जानिए — आप उसकी रौशनी बन सकते हैं।
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